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Prem Ke ras Mein Bheega Bheega

यह एक विशुद्ध रोमांटिक काव्य संग्रह है।इसमे जनसामान्य की आम बोलचाल की भाषा में शृंगार रस की विभिन्न विधाओं के रूप मिलते हैं।प्रयागराज की साहित्य सम्पन्न धरा और बृज भूमि के प्रेम की छाप स्पष्ट रूप से इस किताब में देखी जा सकती है।यह काव्य संग्रह प्रेम की उल्लासित उमंगों एवं भावों की लहराती, बलखाती तरंगों का प्रक टीकरण है।टाइटल कविता ‘प्रेम के रसमें भीगा भीगा’ के विभिन्न छंदों में प्रेम के कई रूपों को बड़े ही अद्भुत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। ‘हँसीख्वाब’, ‘कत्ल करके भी मुस्कुराती हो’, ‘शर्मीली’, ‘मचलती शाम’ आदि कविताओं में प्रेम की उच्चतम अनुभूति का एहसास होगा। ‘अर्धनारीश्वर’, ‘बांध’, ‘अंदाज-ए-इश्क’ जैसी कविताओं के माध्यम से प्रेम को पुनःपरिभाषित करने का प्रयास किया गया है।इसी प्रकार ‘ये इमोजी वाली जनरेशन’, ‘स्नेहलता’, ‘#मीटू-मीटू’ और ‘जवानी की गजलें’ आदि आपको गुदगुदायेंगी। ‘मरें तो कफ़न तिरंगा हो’, ‘पाकिस्तान पे क्यों लिखूँ’ आदि कवितायें आपके अंदर जोश भर देंगी । यह काव्य संग्रह फुल इटरटेनमेंट की गारंटी है।ये रचना यें मन की मस्ती से फूटी हैं जो पाठकों को मस्ती में सराबोर कर देंगी।

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